कुंडलिया
“कुंडलिया” जाओ तुझको दे दिया, खुला गगन अहसास वंधन रिश्तों का भला, पंख काहिं वनवास पंख काहिं वनवास, भला क्यों
Read Moreसचमुच गरीब की जिंदगी एक पान के बीडे की तरह सर्वत्र सुलभ है उसे जब चाहो तब खरीद लो और
Read Moreबता तेरे लिए क्या लिख दूँ..? बारिश की गिरती फुहार लिख दूँ, ज़िन्दगी में ना आयी जो बहार लिख दूँ,
Read Moreसताती हैं हमें हर दम,…तुम्हारे प्यार की बातें। कभी इक़रार की बातें, कभी इनकार की बातें। किए क्या ख़ूब तुमने
Read Moreमैं तिरंगा हूँ…!! कल रास्ते में मुझे कोई मिला, वह कल 16 अगस्त – 27 जनवरी कुछ भी हो सकता है। नहाया हुआ था
Read Moreखामोश हूँ मैं , अब शिकायत नहीं होती, अब इस ज़माने में , किसी का ‘दिल’ समझने की ‘रिवायत ‘
Read Moreऔरत की किस्मत में कितने गम है पुरुष कहते यह तो बहुत कम है| औरत की आँखे होती हमेशा नम
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