आ फिर से मिल
फिर से किसी रेल के डिब्बे में आ बैठ मेरी बगल या सामने वाली सीट पर एक अजनबी की तरह
Read Moreफिर से किसी रेल के डिब्बे में आ बैठ मेरी बगल या सामने वाली सीट पर एक अजनबी की तरह
Read Moreजिंदगी के सफ़र में हमसफ़र ढूंढ़ती मेरी आँखें तुम पर आकर रुकी थी तुम्हे देखा तो लगा था कि मुकम्मल
Read Moreछिड़कते हैं नमक हमारे घावों पर ये दुनिया वाले बिदकते हैं छोटी-छोटी बातों पर ये दुनिया वाले अक्सर पहाड़ राई
Read Moreहमें हैरान-परेशान देख एक व्यक्ति ने हमसे पूछा क्या खोज रही है आप ? हमने कहा ही था कि इंसानियत
Read Moreएक अनूठी परम्परा, सभ्यता से भरा संस्कृति का श्रृंगार है, राखी का त्योहार है। मात-पिता का नेह, भाई-बहन का स्नेह
Read Moreहर किसी को अपने हिस्से की जंग ख़ुद लड़नी पड़ती है ख़ुद को ख़ुद का उजाला और ख़ुद की किरण
Read Moreए साहिब! हमें कड़ी निंदा नहीं बदला चाहिए है, उनमें भी दहशत का एक जलजला चाहिए है। बहुत हुआ कि
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