कविता : मेरी मुलाक़ात एक रूह से हुई
मेरी मुलाकात एक रूह से हुई एक पवित्र और सच्ची रूह से मैंने देखा उसको तड़फते हुये और भटकते हुये
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Read Moreअब ये दुनिया नहीं है भाती तभी तुम्हें लिक्खी है पाती। खून-खराबा है गलियों में, छिपे हुए हैं बम कलियों
Read Moreचलते चलते अनन्त यात्रा के राह में एक अजनबी से मुलाक़ात हो गई कुछ दूर साथ-साथ चले कि हम दोनों
Read Moreजन -जन के मन में आज भी एक ही , सवाल है कहाँ तक आजाद है देश ? नारी की
Read Moreमुझे धरा पर आने दो माँ अच्छी बिटिया बन दिखाऊँगी, देश का भविष्य है मुझसे तेरा नाम ऊँचा उठाऊँगी। उम्र
Read Moreआवारा बादल हूँ मैं मुझे एहसासों से तरबतर करता पानी हो तुम अपने आगोश में ले तुम्हें मस्त हवाओं से
Read Moreआओ हम सब *********** आओ हम सब मिलजुल कर ऐसे घर का निर्माण करें माँ भारती विराजे ऊपर झुक दुनिया
Read Moreहर रोज ही , अस्पताल में लगी , वह लम्बी कतारें , कुछ बूढ़े, मगर बीमार चेहरे , खड़े रहते
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