बासंती गीत – ऋतुराज बसंत
भीनी भीनी महक में डूबा, मन मतवाला बना पतंगा। प्रेम भंवर में रचा बसा है, भंवरों का गुंजार मचा है।
Read Moreभीनी भीनी महक में डूबा, मन मतवाला बना पतंगा। प्रेम भंवर में रचा बसा है, भंवरों का गुंजार मचा है।
Read Moreसब गलतियां लड़कों की निकाल देती हैं लड़के ही नहीं बोहोत लड़कियां भी खराब होती हैं किसी भी सीधे लड़के
Read Moreरे माँ तेरे चरणों में, सगरो तीरथ सुरधामा करुणाकारी आँचल में, मोहक ममता अभिरामा॥ सुख की सरिता लहराती, तेरे नैनों
Read Moreक्यों बदल रहे लोग वैमनस्य की कड़वाहट का अभ्यस्त हुआ व्यक्ति स्वयं व अन्य के प्रति कितना असंवेदनशील हो जाता
Read More।। दर्द को भी आधार कार्ड से जोड़ दो ।। कभी गैस को जोड़ते हो, कभी पेट्रोल को जोड़ते हो,
Read Moreमन में चाह जगाइए देश हो खुशहाल सीमा चौकी वीर जवान सदा रहे निहाल। कहीं से कोई बैरी गैरी नहिं
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