लघुकथा : सजा
कोर्ट में जज ने न्याय सुनाने से पहले कटघरे में खड़े विजय से पूछा- “मिस्टर
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Read More“एक समय था, जब खत को देखकर मजमून भांप लिया जा सकता था, एक आज का जमाना है, जब मजमून
Read Moreरतनलाल कचेहरी में टाइपिस्ट हैं।किसी तरह से शादी रत्ना से किये थे कि रत्ना उसके साथ कंधा से कंधा मिलाकर
Read Moreसभागार में वयोवृद्ध पंडित जी प्रवचन कर रहे थे. सभागार खचाखच भर गया, बाद में आने वाले लोग बाहर खड़े
Read Moreमैं 16 साल की बाली उम्र में दो विद्यालयों की फाउंडर प्रिंसिपल रही हूं. उसके बाद लगभग 16 सरकारी विद्यालयों
Read Moreअलका सिंह मायके में जितनी सबकी प्रिय थी उतनी ही प्रिय ससुराल में भी थी। ससुर योगेन्द्र प्रताप उसे बेटी सा
Read Moreदादा दादी आये हैं। परपोता आरोह और उसकी पत्नी रूही मन ही मन उलझन में फंसे हैं। आज हम सब
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