कुंडलिया – गुरुवर तुम हो दिव्य
भायी गुरुवर दिव्यता,तुम तो हो भगवान। तुमने दिया विवेक तो,हुआ सत्य का भान। हुआ सत्य का भान,नहीं तो मैं मिट
Read Moreभायी गुरुवर दिव्यता,तुम तो हो भगवान। तुमने दिया विवेक तो,हुआ सत्य का भान। हुआ सत्य का भान,नहीं तो मैं मिट
Read Moreकहीं किलकार तो सवार है बुखार कहीं, हाहाकार बाढ़ का शिकार दस्तकार है। रंगदार पानी का प्रहार पानीदार कहीं, लिए
Read Moreहरियाली रच बस गई ,सावन में हर ओर ,बरखा आई झूम के ,पवन मचाए शोर ,पवन मचाए शोर ,मेघजी गरजें
Read Moreतन पर रमा भस्म, गले नाग हार डाले, जटा बीच गंगा धर, सृष्टी रखवारे हैं । भूत प्रेत नर नारी,
Read More-1- रँग लाल गुलाल उड़े ब्रज में, डफ ढोल धमाधम बाजत वादन। चुनरी पट ओढ़ि चली तरुणी, चलती पिचकारिहु धार
Read Moreनेता करते हैं यहां, बस अपना उत्थान जनता को ही देखिए, करने सब बलिदान करने सब बलिदान, गिला मत करना
Read Moreमद्धिम कुहरे की छटा चीर पूरब से आते रश्मिरथी उनके स्वागत में भर उड़ान आकाश भेदते कलरव से खग वंश
Read Moreदिव्य दिवाकर,नाथ प्रभाकर,देव आपको,नमन करूँ। धूप-ताप तुम,नित्य जाप तुम,करुणाकर हे!,तुम्हें वरूँ।। नियमित फेरे,पालक मेरे,उजियारा दो,पीर हरो। दर्द लड़ रहा,पाप अड़
Read More