गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका/ग़ज़ल

मैंने एसा मुक़द्दर नहीं देखा

बरसों गुज़र चुके हैं मैंने तेरा चेहरा नहीं देखा,नींद तो आती है मगर ख़्वाब दुजा नहीं देखा।किनारे से अंदाज़ए तुफ़ां

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