ग़ज़ल
ऐश भी की है तो की है ठोक के।मय अगर पी है तो पी है ठोक के। परिश्रम के रंग
Read Moreमेहबुब मेरे इस तरह से अब हमको रुसवा न करोमुहब्बत है, खेल नहीं है तुम कोई तमाशा न करोज़माने में
Read Moreचोट खाई है जिगर पर मैं उदास रहता हूं।बिछड़ गया जान था मेरी उदास रहता हूं। नज़र से नज़र उसकी
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