गीतिका
एक विधा के नाम अनेक।लोग काटते अपने केक।। वही गीतिका सजल विधा,ऊँचा करते नाम अनेक। कोई हिंदी ग़ज़ल पुकारे,टर्राते सरवर
Read Moreप्यार बस तुमको किया तुमसा दिखा कोई न था |अक्स दिल में दिल तेरा बाकी मेरा कोई न था |
Read Moreधरा को नेह जल बौछार से नहला गया सावन |नयन में स्वप्न भर सांसो को फिर महका गया सावन |
Read Moreनजर आखिरी आज उठ जाने देआज के बाद कोई भरोसा नहीजाम ये आखिरी अब उतर जाने देआज के बाद कोई
Read More