यह भी गायब वह भी गायब
गीत गजल दोहे चौपाई भटक रहे हैं मन मरुस्थल मेंकिस से पीर बताई जाए यह भी गायब वह भी गायबमंच
Read Moreगीत गजल दोहे चौपाई भटक रहे हैं मन मरुस्थल मेंकिस से पीर बताई जाए यह भी गायब वह भी गायबमंच
Read Moreगलियों में तेरी क़दम रखूंगा न कभी मैं भीअहद से अपने जो मुकर जाओ किसी दिन।ये तिशनगी बुझने का नाम
Read Moreधन से गरीब हो तो,चलता है मेरे यारा,मन से गरीब होना,अच्छा नहीं लगता। संतों की ये माटी है, कण-कण से
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