भजन/भावगीत

भजन/भावगीत

मां कालरात्रि 

सप्तमस्वरूप भयानक धरा माँ कालरात्रि  त्रिनेत्रा, चमकीली मालाधारी माँ कालरात्रि ।   आधि-व्याधि से जलती काया को तृप्त करें दैत्य – दानव 

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भजन/भावगीत

श्रीगणेशा! आमंत्रण मेरा स्वीकार करो

हे गणेश गणपति गजानननमन मेरा स्वीकार करो,हमारी भूल बिसारकर अबआमंत्रण मेरा स्वीकार करो।रिद्धि सिद्धि को संग अपनेमूषक वाहन पर हो

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