मां कालरात्रि
सप्तमस्वरूप भयानक धरा माँ कालरात्रि त्रिनेत्रा, चमकीली मालाधारी माँ कालरात्रि । आधि-व्याधि से जलती काया को तृप्त करें दैत्य – दानव
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Read Moreरुप सौन्दर्य लिए अद्वितीय आभा स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता । चार भुजा कमलासन पर विराजे पुत्र नाम से कहलाई
Read Moreघर द्वार भी सजाए, बंदनवार भी लगाए,किया घट को स्थापित अखंड दीप भी जलाएं,रूप माता की देखो कैसे निखरीशोभे है
Read Moreतुम महामंत्र, पावन सुधा सी तुम हो जीवन की संजीवनी । योग साधना में हुई लीन जब कहलाई तुम माँ
Read Moreमातु शारदे नमन् कर रहा,तेरा तो अभिनंदन है। ज्ञानमातु,हे हंसवाहिनी!,बार-बार पग-वंदन है।। वाणी तुझसे ही जन्मी है,तुझसे ही सुर बिखरे
Read Moreजगमगाता दीप मैं बन सकूं, हर हृदय में स्नेह मैं भर सकूं । प्रीति की रोशनी हर किसी को दे
Read Moreरूमक-झुमक आओ माता रानी, आओ जगदंबे, महिषासुर मर्दिनी, पूजा-अर्चना, करुं विधिवत प्रार्थना, जगत कल्याणी, माँ शक्तिदायिनी।। माँ अति कठोर हो
Read Moreहे गणेश गणपति गजानननमन मेरा स्वीकार करो,हमारी भूल बिसारकर अबआमंत्रण मेरा स्वीकार करो।रिद्धि सिद्धि को संग अपनेमूषक वाहन पर हो
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