योगेश्वर एवं वेदर्षि दयानन्द
ओ३म् आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द सरस्वती वेदों के उच्च कोटि के विद्वान एवं सिद्ध योगी थे। योग में सफलता,
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Read Moreओ३म् हमारा यह शरीर हमें परमात्मा से मिला है। यह शरीर हमारी आत्मा का साधन है। यह ऐसा साधन है
Read Moreओ३म् संसार का सबसे प्राचीन धर्म व संस्कृति वैदिक धर्म है। संसार के सभी मनुष्यों का धर्म एक ही होता
Read Moreओ३म् हम मननशील होने से मनुष्य कहलाते हैं। मनन हम सत्यासत्य व उचित अनुचित का ही करते हैं। सत्य व
Read Moreडूबते सूरज की बिदाई नववर्ष का स्वागत कैसे पेड़ अपनी जड़ों को खुद नहीं काटता, पतंग अपनी डोर को खुद
Read Moreओ३म् हमारा जीवन प्रारब्ध की नींव पर बना है और जीवन को सार्थक करने के लिए हमें पुरुषार्थ करना है।
Read Moreउज्जैन में 18 दिसम्बर की बीती रात चक्रतीर्थ शमशान घाट पर एक विशेष तांत्रिक अनुष्ठान हुआ. अमावस्या की रात भैरवनाथ
Read Moreओ३म् दो पैर वाले शरीरधारी प्राणी को मनुष्य कहते हैं। ज्ञान व कर्म की दृष्टि से इसके मुख्य दो भेद
Read Moreओ३म् हम ऋषि दयानन्द के भक्त और अनुयायी अपने आप को आर्य कहते हैं जबकि हमारा जन्म एक पौराणिक परिवार
Read Moreओ३म् वैदिक धर्मी आर्यों के पांच दैनिक कर्तव्य हैं जिन्हें ऋषि दयानन्द जी ने भी पंचमहायज्ञ नाम से स्वीकार किया
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