धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सत्यधर्म का निश्चय, उसका आचरण और उसके जानने वाले विद्वानों के कर्तव्य

ओ३म् देश में अनेक मत-मतान्तर, पंथ व सम्प्रदाय आदि हैं। आजकल इन सभी को धर्म की संज्ञा दी जाती है।

Read More
धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर द्वारा सर्गारम्भ में ऋषियों को वेदज्ञान देने विषयक ऋषि दयानन्द के युक्तिसंगत विचार

ओ३म् सत्यार्थ प्रकाश के सप्तम् समुल्लास में ऋषि दयानन्द ने प्रश्न उपस्थित किया है कि जब परमेश्वर निराकार है तो

Read More
धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सन्ध्या में अघमर्षण मन्त्रों के पाठ से पाप छूट कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होना संभव है

ओ३म् महर्षि दयानन्द जी ने ईश्वर का सम्यक् रीति से ध्यान करने के लिए इसकी सर्वोत्तम विधि पुस्तक रूप में

Read More
धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सबको आनन्द देने वाला परमेश्वर हम सब पर सब ओर से सर्वदा सुख की वृष्टि करे

ओ३म् परमेश्वर का भली-भांति ध्यान करने को सन्ध्या कहते हैं। सन्ध्या करने का समय रात और दिन के संयोग समय

Read More
धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

असत्य का त्याग और सत्य का ग्रहण मनुष्य का कर्तव्य और धर्म

ओ३म् मनुष्य को मनुष्य इसके मननशील होने के कारण ही कहा जाता है। मनुष्य व पशु में अनेक समानतायें हैं।

Read More