धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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विविधता में एकता का सिद्धान्त क्या उचित है?

ओ३म्   भारत अनेक मत-मतान्तरों, बहुभाषाओं, भिन्न-भिन्न रहन-सहन व परम्पराओं वाला देश है। एक ही मत में अनेक शाखायें भी

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अविद्या मनुष्य, समाज, देश और संसार सबकी प्रमुख व प्रबल शत्रु

ओ३म्   वर्ण व्यवस्था के सम्बन्ध में कहा जाता है कि संसार के तीन प्रमुख शत्रु हैं। प्रथम अज्ञान व

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मनुष्य तभी जब वह अहिंसा आदि गुणों का पूर्णतया पालन करें

ओ३म् योगदर्शन महर्षि पतंजलि की मनष्यों को बहुत बड़ी देन है जो मनुष्यों को मनुष्य बनाने का प्रमुख साधन है।

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ब्रह्माण्ड का एकमात्र ईश्वर ही संसार के सब मनुष्यों का उपासनीय

ओ३म् ईश्वर क्या है व ईश्वर किसे कहते हैं? यह एक साधारण मनुष्य का प्रश्न हो सकता है। इसका सरल

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ऋषि दयानन्द ने वेदों का उद्धार और प्रचार कर विश्व का कल्याण किया

ओ३म् महर्षि दयानन्द ने एक पौराणिक सनातनी परिवार में जन्म लेकर महामानव अर्थात् ऋषि व महर्षि बनने का एक महान

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जीवात्मा की पांच अवस्थाओं पर विचार

ओ३म् शांकर भाष्य-लोचन के लेखक पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय पुस्तक के पहले अध्याय ‘स्वप्न की मीमांसा और उसका शांकर मत में

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