विविधता में एकता का सिद्धान्त क्या उचित है?
ओ३म् भारत अनेक मत-मतान्तरों, बहुभाषाओं, भिन्न-भिन्न रहन-सहन व परम्पराओं वाला देश है। एक ही मत में अनेक शाखायें भी
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Read Moreओ३म् वर्ण व्यवस्था के सम्बन्ध में कहा जाता है कि संसार के तीन प्रमुख शत्रु हैं। प्रथम अज्ञान व
Read Moreओ३म् योगदर्शन महर्षि पतंजलि की मनष्यों को बहुत बड़ी देन है जो मनुष्यों को मनुष्य बनाने का प्रमुख साधन है।
Read Moreओ३म् हम संसार के अन्य लोगों व प्राणी समूहों सहित अपने जन्म से इस सृष्टि वा संसार में रह
Read Moreओ३म् ईश्वर क्या है व ईश्वर किसे कहते हैं? यह एक साधारण मनुष्य का प्रश्न हो सकता है। इसका सरल
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द ने एक पौराणिक सनातनी परिवार में जन्म लेकर महामानव अर्थात् ऋषि व महर्षि बनने का एक महान
Read Moreओ३म् शांकर भाष्य-लोचन के लेखक पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय पुस्तक के पहले अध्याय ‘स्वप्न की मीमांसा और उसका शांकर मत में
Read Moreएक अंग्रेजी कहावत है- “गलती करना मानव का स्वभाव है, उसको क्षमा करना दैवीय गुण है।” क्षमा माँगने की प्रवृत्ति
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