धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चासामाजिक

भारत माता की जय!

हमारे धर्मशास्त्रों में मातृभूमि के महत्व पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला गया है। वेद का कथन है- ‘माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:’ अर्थात भूमि मेरी माता

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हो सके तो बुरे मार्ग व कार्यों का त्याग कर अपना यह जीवन संवार लोः डा. महेश विद्यालंकार

ओ३म् –महर्षि दयानन्द की जन्मभूमि टंकारा का बौद्धिक प्रसाद- महर्षि दयानन्द की जन्मभूमि स्थित न्यास के परिसर में 6 से

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हम आर्यसमाज जाना न छोड़े क्योंकि इससे हमारी अपनी हानि होगी

ओ३म् –भाजपा सांसद स्वामी सुमेधानन्द का महर्षि दयानन्द जन्मभूमि टंकारा में उद्बोधन– महर्षि दयानन्द की जन्मभूमि गुजरात राज्य के मोरवी

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जन्म-मरण के दु:खों से मुक्ति के विवेक व वैराग्य आदि चार साधन

ओ३म् मनुष्य के जीवन का मुख्य उद्देश्य सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति व मोक्ष की प्राप्ति है। मुक्ति व

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शिब और शिबरात्रि (धार्मिक मान्यताएँ )

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रात्रि यानी अंधकार का वक्त बुरी शक्तियों या भावनाओं के हावी होने का समय होता है,

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महर्षि दयानन्द की प्रमुख देन चार वेद और उनके प्रचार का उपदेश

ओ३म् ऋषि बोधात्सव पर्व 7 मार्च पर महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार का मार्ग क्यों चुना? इसका उत्तर है कि

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