व्यंग्य : अन्नदाता का दुःख
इन दिनों अन्नदाता हैरान और परेशान हैं। उनकी हैरानी और परेशानी जायज है। वो उन कामों के लिए देश-विदेश में
Read Moreइन दिनों अन्नदाता हैरान और परेशान हैं। उनकी हैरानी और परेशानी जायज है। वो उन कामों के लिए देश-विदेश में
Read Moreभारत की राजनीति इस समय किसी फंतासी सीरियल से कम नहीं है। एक टीवी पर बाबू देवकी नंदन खत्री के
Read Moreउस दिन वे, जैसे किसी परेशानी में थे। मिलते ही बोले, “यार, वे सब मुझे बाईपास कर रहे हैं।” मतलब,
Read Moreवे एक नंबर के ईमानदार आदमी थे। किसी का कार्य किए बिना कुछ नहीं लेते थे। उनके ऐसा भी नहीं
Read Moreउस दिन आफिस की डाक मार्क करते-करते अचानक एक शिकायतनुमा पत्र पर मेरी नजर ठहर गयी। एक ही झटके में
Read Moreउधर बेचारी भारतीय सेना सीमा पर पाकिस्तानी बंकर को तबाह करने में लगी है और इधर भारत के अंदरखाने में
Read Moreस्त्री जीवन भर तीन ‘प’ यानि पिता, पति और पुत्र नामक रिश्ते से मुक्त नहीं हो पाती। इनमें से एक
Read Moreइसे जनसाधारण की बदनसीबी कहें या निराशावाद कि खबरों की आंधी में उड़ने वाले सूचनाओं के जो तिनके दूर से
Read Moreसाल भर का काम, काम ना आया.. मैंने अपने गलतिओ का इनाम है पाया .. इतनी गलतिओ के बाद भी
Read Moreपूरे घर में गन्दगी का अम्बार था, घर की तिजोरी पर हर कोई हाथ साफ़ कर रहा था, जेवर-सोना-चांदी सब
Read More