कड़ी निंदा की लाबीइंग
एक दिन क्या हुआ कि, मैं सुबह-सुबह अखबार की प्रतीक्षा में, अनमने से बैठा हुआ था, तभी मेरे एक मित्र
Read Moreएक दिन क्या हुआ कि, मैं सुबह-सुबह अखबार की प्रतीक्षा में, अनमने से बैठा हुआ था, तभी मेरे एक मित्र
Read Moreइस वर्ष गर्मी कहर की थी। जालंधर की गर्मी और मच्छरों से मुकाबला, कोई करे भी तो किया करे। दफ्तर
Read More“आप लोग, लोगों को चप्पल घिसवाने से बाज आईए” एक शिकायत-समाधान-प्रकोष्ठ में सुना गया था यह वक्तव्य! सुनकर हवाई-चप्पल पर
Read Moreगधे तो वाकई गधे होते हैं। एकदम सीधे-सादे, मेहनती और संतोषी। गधे के यही तीन गुण उसको महान बना देते
Read Moreठीक उसी तरह ‘कि पहले अंडा आया कि मुर्गी’ की तरह यह सवाल भी मौजू है कि पहले जूते आए
Read Moreदीवाली का दिन था। हर तरफ गहमा गहमी थी। भमरा लोग हर साल इसी दिन पार्टी का प्रोग्राम किया करते
Read MoreMCD के चुनाव में आप का झाड़ू टूट गया EVM के नाम पे वो अपना हार , जित गया गोवा
Read Moreहमारे देश के मजदूर-किसान भी न..एकदम बौड़म हैं बौड़म। धेले भर की अकल नहीं और अकल के पीछे लट्ठ लिए
Read Moreससुराल किसी भी व्यक्ति के जीवन की वे खूबसूरत राजधानी है,जहाँ से वे व्याह के पत्नी जैसी–फायदेमन्द और डाॅबर च्यवनप्राश
Read More