ग़ज़ल
गुलशनों पर शबाब है उसका ये करम बेहिसाब है उसका अश्क कितने मिले, खुशी कितनी उलटा-सुलटा हिसाब है उसका मौत तो
Read Moreयह मेरा बीता हुआ कल नहीं है, यह एक अमर स्मृति है। जून की दो तारीख को मेरा जन्मदिन है।
Read Moreभागीरथ के तप का हूं प्रतिफल, पतित पावन है मेरा जल । देवव्रत को दिया जन्म, जगत माता बनी तरणी
Read Moreजरा कल्पना करें… हमारी, आपकी दुनिया में मनोरम् पार्क में, फूलों की बगिया में खूब रंग-विरंगे आकर्षक फूल खिले हों,
Read Moreआए दिन अखबारों, लोगों के मुखारविंद और सोशल मीडिया में ‘ये दिल मांगे मोर–रसगुल्ले’ किनके हैं–बंगाल के हैं या उड़ीसा
Read Moreमेघालय में कार्यरत डॉ अवधेश कुमार अवध को अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अन्तर्गत विशेष निगरानी मिशन का वॉलंटियर (स्वयं सेवक)
Read Moreप्रशिक्षु शिक्षकों के ट्रेनिंग सेन्टर यानी डायट में 2017-19 बैच का नया सत्रारम्भ था वहाँ प्रशिक्षु शिक्षकों के साथ उनके
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की कविताएँ 1. इंद्राणी मुखर्जी किसी कुरूप पर कितने मर्दों को मरते देखा है प्रेम की देहलीला
Read Moreलॉकडाउन में ‘कोरोना’ के आतंक से स्वयं को बचते हुए एकांतवास हो चुका हूँ । लॉकडाउन में मैंने साहित्य, गणित,
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