उड़ने दो मन को
उड़ने दो मन को, अनंत आवरण में समन्वित रूप में अपना कुछ बनने दो, विचारों के जग में एकता हमारी
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Read Moreमन के दशरथ को संभाल ले ! दिख जाए जिस दिन सफेदी ठान ले ! तन के दशरथ की लगाम
Read Moreओ३म् मनुष्य जो भी कर्म करता है उससे उसे लाभ व हानि दोनों में से एक अवश्य होता है। लाभ
Read Moreमजदूर(हाइकू) सड़क पर भटक रहे नित ये मजदूर… खाने को नहीं पीने को नहीं पानी हैं मजबूर… हैं नंगे पाँव
Read Moreगीता:- आज तुम्हारा मूड ठीक नहीं लग रहा है। क्या बात है मुझें तो बता दो? सीता चुप थी।मन ही
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