वासंती मौसम का सिंगार।
वासंती मौसम का कैसा, उजड़ गया सिंगार? बागों में खिले फूल लाश के, कहीं बिछी अंगार! चीख रही फागुन में
Read Moreवासंती मौसम का कैसा, उजड़ गया सिंगार? बागों में खिले फूल लाश के, कहीं बिछी अंगार! चीख रही फागुन में
Read More# आशाओं के सेतू साथी ! चल मिलकर बाँधेंगे आशाओं के सेतू … तू व्यर्थ अकिंचन रोता है क्युँ साहस
Read Moreहर कोई हैरान था, परेशान था. पी एम मोदी का सोशल मीडिया से मोहभंग क्यों? ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब
Read Moreस्पर्श करती उत्तुंगता को, अंतस से उठती इच्छाएँ! संघर्षों से जीती जाती, जीवन की प्रतिकूल बलाएँ!! असमय कालचक्र में बिंधकर,
Read Moreघने अंधेरे छायेंगे, विपत्ति भी डेरे लगायेंगे | देख प्रतिकूल हालातों को, शूल स्वयं बिछ जायेंगे || हर अवरोध को
Read Moreधरती से ज़रा सा ऊपर उठकर देखा तो बड़े हिस्से पर बादलों के कारण कहीं-कहीं गहरा कालापन और कहीं तेज
Read Moreअच्छाई और बुराई के सारे निशान जग में हैं साथ हैं अच्छाई के जो, वो महान जग में है
Read Moreमत काट ये झाड़ पेड़ उन्होंने तेरा क्या बिगाड़ा है तेरे जन्म से तेरे अंत तक बस उनका ही सहारा
Read More(6 मार्च को पंडित लेखराम जी के बलिदान दिवस के अवसर पर प्रकाशित) पंडित लेखराम इतिहास की उन महान हस्तियों
Read Moreफागुन की छायी बहार है ,सब मिल खेलो रंग । हर सू बिखरा रंग केसरी ,मनवा हुआ मलंग । होली
Read More