पत्र तुम्हारे लिए : लुप्त प्राय विधा के लिए एक सशक्त प्रयास
आकर्षक आवरण वह भी विषयवस्तु के अनुसार पत्र तुम्हारे लिए पुस्तक मेरे समक्ष है ।साहित्य जगत उसमें समाज के सन्देश
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Read Moreइस वर्ष मेरे पूज्य पिता श्री लक्ष्मी चरण जी की जन्म शताब्दी है। पापाजी अत्यंत मेधावी व्यक्ति थे। अपने स्वभाव
Read Moreतुम्हीं सच बताओ मुझे मान दोगी तुम्हें गीत की हर लहर पर संवारूँ, तुम्हें जिन्दगी में सदा यदि दुलारूँ, तुम्हीं
Read Moreअभी उम्र वाकी बहुत है प्रिये, तुम न रूठो, अभी ज्योति मेरे नयन में। इधर कल्पनाओं के सपने हम सजाते,
Read More******************** प्रिय तुम मुझसे दूर न जाओ, मेरे मन में आज नशा है। घूंघट खोल रही है कलियाँ , झूम
Read Moreआज मैंने आज को पहली बार जाना है बरसों बाद ख़ुदको ठीक से पहचाना है सदियाँ गुज़र गईं इस कश्मकश
Read Moreआज मैंने आज को पहली बार जाना है बरसों बाद ख़ुद को ठीक से पहचाना है सदियाँ गुज़र गईं इस
Read Moreरूह की गर्त पर एक नकाब लपेटे हूँ। टूटे सपनो में अब भी आश समेटे हूँ।। दुखों की कड़कड़ाती
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