लघुकथा -नया रास्ता
अखिलेश प्राईवेट नौकरी में काम अधिक और कम वेतन से बहुत परेशान रहता था|हर समय परिवार में पैसे को लेकर
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Read Moreगाँधी-वाङमय को उलटें तो एक से एक आश्चर्यजनक तथ्य उभरते हैं। “संपूर्ण गाँधी वाङमय” के खण्ड 18 से 1919 ई.
Read Moreसुबह-सवेरे सैर पे निकली रास्ते में मिले भंवरे-तितली, मैं थी उनसे गुफ़्तगू में मग्न, तभी सुनाई दी एक आवाज सुरीली.
Read Moreगिलगित बाल्तिस्तान हमारा है हमको लौटाओ। वरना जबरन ले लेंगे मत रोओ मत चिल्लाओ।। खून सने कातिल कुत्तों से जनता
Read Moreएक कप इश्क की चाय पिला देना उसमें थोड़ी सी वफा भी मिला देना जब दम घुटने लगे इस जमाने
Read Moreमोहब्बत यदि गुनाह है तो गुनाह मत करना किसी के वास्ते खुद को तबाह मत करना। तुम उसको चाहो भले,वो
Read Moreआया पर्व उपासना का साफ होते घाट डाला दौड़ा सज रहे माताएँ करे उपवास।। आरोग निरोग मन्नतें का डूबते उगते
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