विजयदशमी की प्रासंगिकता
“पुतला रावण का ही क्यों जलाते हैं हम हर साल, मन के रावण को भी मारें आओ हम इस बार।”
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Read Moreमुंबई। प्रसिद्ध हास्यकवि सुरेश मिश्र के नए काव्य संकलन ‘ज्योति जलाएं’ का विमोचन ‘मैसूर एसोसिएशन सभागृह’ माटुंगा में सम्पन्न हुआ
Read Moreआ गया हूँ द्वार तेरे माँ स्वयं से हार कर याचना है बस यही विनती मेरी स्वीकार कर कोटि अरि
Read Moreभारतीय हिंदू संस्कृति में पर्वो, त्योहारों, मेलो की एक लंबी परंपरा देखने को मिलती है ।उसी परंपरा में असत्य पर
Read Moreकवि :-श्री रमेशचंदर सेन( विनोदी जी )। *संक्षिप्त परिचय* बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी विनोदी जी सहज ,सरल ,गंभीर प्रवृत्ति के
Read Moreकहने को तो बाजार में सब कुछ मिल जाता है पर मां जैसी जन्नत और बाप जैसा साया कहीं नहीं
Read Moreस्कूल की एक मैडम के पास एक अनजान नम्बर से फोन मिला कि मैडम जी इतना अच्छा पढ़ाती हो कि
Read Moreकाव्य-गीत के मंच को , जिसने किया अशुध्द । उसको ना विद्या मिले, रहें सरस्वती क्रुध्द ।। फूहड़ता अब छोड़
Read Moreआखिर उस आतंकवादी को पकड़ ही लिया गया, जिसने दूसरे धर्म का होकर भी रावण दहन के दिन रावण को
Read Moreहर साल की तरह इस साल भी वह रावण का पुतला बना रहा था। विशेष रंगों का प्रयोग कर उसने
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