किनारा
यूँ जी रहा , लाख टूट टूट के बिखरा हूँ मैं। मेरा जीवन कुन्दन, जल के निखरा हूँ मैं। हर
Read Moreदो मृगछौने (कविता) देख के दो सुंदर मृगछौने, मन ने पूछा ये हैं कौन? मन उत्तर-प्रतिउत्तर करता, मृगछौने तो
Read Moreप्रभु इतना ध्यान रखना जब अंत समय आए ! दर्शन का हमको दान देना जब अंत समय आए! प्रभु जी
Read Moreएक साहित्यकार जब बैंकर होता है तो उसके मस्तिष्क में साहित्य के अतिरिक्त अर्थशास्त्र की चिंताएं भी कहीं न कहीं
Read Moreमदमस्त हिरणी बनी परिपक्व उम्र में भी कुलाँचे भरती कस्तूरी के पीछे भागी जा रही थी पर ना जाने क्यों
Read More“मुझसे हाथ मिलाओगे, साथ में दो डग आओगे, “तुझ-सा दोस्त न कहीं मिला है”, बार-बार यह गाओगे.” “अरे, यह कौन
Read Moreआओ यार स्वेटर मफलर रजाई । अजी तुम कहाँ हो भाई । ठण्ड लगी है मुझे जी । कुछ नहीं
Read Moreकुलदीपक की सहचरी, घर का है आधार। बहुओं को भी दीजिए, बेटी जैसा प्यार।। — बाबुल का घर छोड़कर, जब
Read Moreदीनानाथ जी आज सुबह सुबह तैयार हो गए .अपना चश्मा ,झोला और छड़ी उठाकर धीरे धीरे से बिना आहट किये
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