वाणी वंदना
करूँ वंदना मैं, मातु तुम्हारी…. शरण पड़ी हूँ रख लाज हमारी… करूँ वंदना मैं…………………. न है ज्ञान माता,झोली खाली हमारी
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Read Moreकहने को तो घर में हूँ. पर दिन-रात सफ़र में हूँ. मेरी नज़र में वो न सही, पर मैं उसकी
Read Moreमुम्बई । महानगर की साहित्यिक,सामाजिक एवं सास्कृतिक संस्था ‘साहित्य संगम’ द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला राष्ट्रीय स्तर का ‘मनहर
Read Moreबाघ का नाम सुनते ही एक आम भारतीय का सिर गर्व से ऊठ जाता है। भारतीय वन्य प्राणिजगत का यह
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द के आगमन से लोगों को यह ज्ञात हुआ कि विद्या व ज्ञान भी सत्य एवं असत्य दो
Read Moreओ३म् हम इस संसार में रहते हैं। हमें यह सृष्टि बनी बनाई मिली है। इसमें सूर्य, चन्द्र, पृथिवी को तो
Read Moreअदाओं से तेरी संभलते तो संभलते कैसे निगाहों से तेरी बचके निकलते तो निकलते कैसे, चांद गायब था शब भर
Read Moreमन रूपी घट बसे साँवरे,फिर भी तृष्णा रही अधूरी । जैसे वन वन ढूँढ़ रहा मृग ,छिपी हुई मन में
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