हमीद के दोहे
आत्म प्रसंशा से नहीं, बनती है पहचान। सब करते तारीफ जब,तब मिलता सम्मान। पुख्ता होती है तभी, रिश्तों की बुनियाद।
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Read Moreआगरा | विश्वशांति मानव सेवा समिति के कार्यालय में बृजलोक साहित्य – कला – संस्कृति अकादमी के सौजन्य से देशभर
Read Moreदिलों का है मिलना ही सबसे ज़रूरी, बाक़ी ना रहती है फिर कोई दूरी. प्रणय-पथ पे पग तुम बढ़ाओ निरन्तर,
Read Moreहिमाचल के युवा कवि और लेखक और साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के हिमाचल प्रदेश के मीडिया प्रभारी राजीव डोगरा
Read Moreक्या होता है जब हीन भावना से ग्रस्त और प्रतिकूल परिस्थितियों से पस्त कोई दीन – हीन ऐसा किशोर कॉलेज
Read Moreअपनी दोस्ती और रिश्तेदारियां अपनी मज़बूरी और जिम्मेवारिया अपने व्यवसाय की परेशानियां कुछ समाज के नाम पर बेड़ियाँ कुछ धार्मिक
Read Moreऐसे गुरु को परम नमन है… नो महीने तक गर्भ में पाला ऐसे गुरु को परम नमन है गिरते हुये
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