मुक्तक
निर्धन मन में छाई उदासी आस का दीप जलाओ तो मन आंगन छाया अँधेरा एक स्नेह का दीप जलाओ तो
Read Moreखुश हैं कि जैसे जग में मिला सभी कुछ हुआ; नज़रों की नज़्म सुनके, खुलासा था कुछ हुआ.
Read Moreहमने एक कुत्ता पाला, सीधा सादा भोला भाला, धीरे धीरे वह हमसे हिल गया, पूरे परिवार के साथ घुलमिल गया, रोज़ हमको पार्क
Read Moreमिलन की रेत का एक घरौंदा जो हम दोनों ने मिलकर बनाया था उसकी नींव धीरे धीरे खिसक रही
Read Moreकुछ दिन पूर्व रचित मधु गीत (बंगला – हिन्दी रूपान्तर के साथ, हिन्दी व उर्दू ) द्वारा भाव गंगा में डुबकी लगाइए:
Read Moreदयानन्द महाभारत काल के बाद से अब तक के वेदों के सबसे महान ऋषि व विद्वान थे। ईश्वरीय ज्ञान वेद
Read Moreमनीष मिश्रा “मणि ” मेरे दिल से रोशन हो चिराग तेरे दिल में यही सही दिवाली तूने मैने मना ली
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