“ग़ज़ल”
वज़्न – 212—212—212 अर्कान – फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन बहर – बहरे-मुतदारिक मुसद्दस सालिम सांकेतिक गाना- आज जाने की ज़िद ना
Read Moreमोहन बाँके छैल बिहारी, सखिया कीन्ह लाचारी ना ले गयो चीर कदम की डारी, हम सखी रही उघारी ना मोहन
Read Moreझूम-झूम बरसो हे बदरा, कहां छिपे बैठे हो बदरा! कबसे हमने आस लगाई, झूम-झूम बरसोगे बदरा॥ धरती प्यासी, अंबर प्यासा,
Read Moreसुन सखी… आ गई जिंदगी की शाम लगने लगा यूँ मानो… शनै: शनै: उम्र हो रही तमाम जाने कब किस
Read Moreहम आऐं वो मिल जाऐं ये जरुरी तो नही हर बात आपको बताऐं ये जरुरी तो नहीं! खूबसूरत हो तुम,
Read Moreओ३म् हम परस्पर जब किसी से मिलते हैं तो परिचय रूप में अपना नाम व अपनी शैक्षिक योग्यता सहित
Read Moreवह तेजी से भाग जा रहा था , क्षत-विक्षत वस्त्र ।जगह जगह शरीर पर बने ताजा घाव के निशान ,
Read More