सुनो, तुम मुझसे झूठ तो नहीं बोल रहे
घर की बालकनी की खिड़की खोली बाहर का दृश्य देख मुंह से निकल पड़ा – देखो चीकू के पापा कितना
Read Moreघर की बालकनी की खिड़की खोली बाहर का दृश्य देख मुंह से निकल पड़ा – देखो चीकू के पापा कितना
Read Moreशाम हुई थका सूरज पहाड़ो की ओट में करता विश्राम गुलाबी, पीली चादर बादल की ओढ़े पंछियो के कोलाहल से
Read Moreसमय बड़ा बलवान ———————— समय बड़ा बलवान रे साथी, समय……… देखो समय – समय के खेल निराले समय पे छलके
Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द ने अपने साहित्य में अनेक स्थानों पर ‘साम्राज्य’ व ‘चक्रवर्ती–राज्य’ की ईश्वर से प्रार्थना व मांग की
Read Moreसाहिल को क्या मालूम कि कितनी कश्तियाँ डूबीं , कितने अरमान जले कितने ही साहिल पर आपस में मिले समंदर
Read Moreसुधार राष्ट्र का करना, तो सबको प्रेम से रहना। इसी प्रेम से दुनिया तो; सभी का मानती कहना।। हमारे इन
Read Moreवैसे तो हर नारी मॉँ होती ही है ,पर स्वयं की पत्नी में मॉँ का रूप दिखना बहुत बड़े सौभाग्य
Read Moreमुझे याद है बचपन के वो दिन कागज की कश्ती बनाकर पानी मे तैराना, बरसात के दिनों मे उमडते घुमड़ते
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