कविता की पृष्ठभूमि एक गरीब एक अमीर की दहलीज पर आस लिये अपने बीमार बेटे के इलाज के लिए पैसे मांगने बैठा है और अमीर अपनी बर्थ-डे पार्टी में मशगूल है मैं बैठा रहा दहलीज पर आस की गठरी लिये वो जश्न में डूबे रहे मय के जाम पिये मेरी मर्यादा ने मुझको लांघने ना दिया […]
Author: प्रवीण माटी
पानी पर
जग बसा है पानी पर कल टिका है पानी पर लिखी कहानी पानी पर दिखी कहानी पानी पर परछाई है पानी पर तन्हाई है पानी पर कल कल संगीत है पानी पर झर झर मेरी प्रीत है पानी पर सपनों के बुलबुले है पानी पर कुछ मनचले हैं पानी पर पर्वत खड़े है पानी पर […]
भारत भूमि
भारत भूमि माता मेरी मैं अपना फर्ज निभाऊँगा स्वर्ग है एक यहाँ कश्मीर की घाटी मैं खुश्बू मातृत्व की नदी , पहाड़ और इसकी माटी में देवभूमि शान है उत्तर की आठों पहर मैं गीत इसी के गाऊँगा भारत भूमि माता मेरी मैं अपना फर्ज निभाऊँगा अनंत है तेरी करूणा की गहराई युगों-युगों से नाम […]
मेरा भारत
कश्मीर , लेह हिमालय में मन अटका पंजाब का गिद्दा दे झटका हिमाचल में देवों का गुणगान हरियाणा में घर-घर पहलवान उत्तराखंड में नैनीताल राजस्थान रजवाड़ों के तीर और ढाल गुजरात में बापू का पोरबंदर मराठा मारे दुश्मन को घुसकर अंदर मध्यप्रदेश का सांची स्तूप झारखंड में बिरसा मुंडा का रूप केरल का पोंगल है […]
दहलीज़ और किवाड़
मेरे मकां के किवाड़ और दहलीज़ गवाही देते हैं खुशी और गमों की लटकता तोता ऊन का नयापन दिखाये दिखाये टूटी सांकल उलझनों की मैं डालकर खाट बीच इसको गर्मी में सोया करता था जब मूँदी आँखें दादाजी ने लेकर सहारा इनका रोया करता था खट-खट भरी आवाज़ मेहमानों का संदेशा देती थी साँय साँय […]
गीत : मेरा देश है भारत, मैं शीश झुका के गाऊँ
मेरा देश है भारत, मैं शीश झुका के गाऊँ भारत माँ के चरणों में, श्रध्दा सुमन चढाऊँ वीरों की इस धरती पे, पुष्प हैं खिलते आये हुआ विवेक महान यहाँ, गांधी जी अंहिसा लाये महिमा जाने जग ये, मैं तो बस बात दोहराऊँ मेरा देश है भारत, मैं शीश झुका के गाऊँ भारत माँ के […]