निर्धनता
जीवन कठिन हुआ पाषाणी तड़प रही देखो जनता। सिर पर छत अम्बर का उनके
Read Moreसूरज अपने एक दोस्त की शादी में कानपुर जा रहा था। सूरज का बचपन वहीं गुजरा था अतः वहाँ के
Read Moreफिर आज झूम यह पर्व सभी यहाँ मनाते। कितना लगे उन्हें पावन आज वह बताते।।1।। सबके लिए समर्पित परहित जिए
Read Moreघोड़े पर सवार होके आयी हैं भवानी करने कल्याण सबकी माता रुद्राणी। चँवर डुलाओ माँ की आरती उतारो अगर कपूर
Read Moreरामू के पिता कानपुर के एक छोटे से गाँव में रहते थे।एक डेढ़ बीघा खेती के सहारे पूरा परिवार
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