ग़ज़ल : उम्र भर जिसको अपना मैं कहता रहा
आँख से अब नहीं दिख रहा है जहाँ, आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ माँ का रोना नहीं
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Read Moreकब चाहते हैं पूजो भगवान की तरह से इंसान हैं तो चाहो इंसान की तरह से अख़बार हम नहीं हैं
Read Moreप्यार भर किस्सा सुनाया है मुझे फिर खिलौना सा बनाया है मुझे भर नजर जब भी तुझे देखा तभी हुस्न
Read Moreलिखेंगे गीत वफाओं के, जरा सी शाम ढलने दो लिखेंगे गीत दुआओं के, जरा सी शाम ढलने दो मौसम के
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