गीत –
देख दुनिया के चलन को, पीर उठती हैं सघन। हैं यही मन की व्यथाएँ ,है यही चिंतन मनन।। स्वार्थ में
Read Moreउजियारे को तरस रहा हूं,अँधियारे हरसाते हैं ! अधरों से मुस्कानें गायब,आंसू भर-भर आते हैं !! अपने सब अब दूर
Read More(विज्ञान गीत) वैज्ञानिक भले ही अनुमान लगाते रहें, कि एक दिन यूं हमेशा के लिए ‘अस्त’ हो जाएगा सूरज, हम
Read Moreमां की ममता है स्नेह अगाध से भरा हृदय गजब है सहने की क्षमता एक ओर दुनिया सारी एक
Read Moreपरिवर्तन है नियम प्रकृति का, परिवर्तित चहुँ दिश होती है। मन, समाज, स्थिति, ऋतुओं में, सृष्टि नवल कुछ तो बोती
Read Moreसब चाहते हैं साथ यौवन का। किसने साथ निभाया बचपन का। छूट गईं सखियां छूट गये बाग बगीचे, तैरते हैं
Read Moreजब सूरज यौवन में भरकर अनल धरा पर बरसाता है। लाल अँगारा रूप बनाकर, तब गुलमोहर लुभाता है।। मुस्काता है
Read Moreमां की महिमा- दो गीत मदर्स डे पर विशेष 1.मां की महिमा हे मां हमें तेरे चरणों में, सुख तीन
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