दोहे — सौंदर्य-स्तुति
दर्पण ने नग़मे रचे,महक उठा है रूप ! वन-उपवन को मिल रही,सचमुच मोहक धूप !! इठलाता यौवन फिरे,काया है भरपूर
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Read Moreवृक्ष जन-जन में जागृत हो,वृक्ष के प्रति सम्मान। धूप ताप से आराम दे,जलवायु हो समान।। सादा विचार रख के, सबका
Read Moreकल का सपना आपको, आज बताऊँ मित्र. मैंने देखे ख़्वाब में, थोड़े चित्र-विचित्र. राहुल कहते-दीजिए, हमें हार का श्रेय. माँ-बहना
Read Moreआज हवा फिर भइ मस्तानी याद आ रही कुछ को नानी मुरली लगे बजाने जोशी आशिष देत फिरें अडवानी। शत्रु
Read Moreभारत के जनतंत्र की,गूंज रही जयकार। एक बार फिर से हुआ,मोदी का सिंगार ।। वह सच्चा सरदार है, जननायक,सरताज ।
Read Moreज्यों- ज्यों धूप चढ़ी अम्बर पर ,ढली रात भी बादल में । इक झटके में हवा जा छुपी, जाने किसके
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