हास्य कविता (राजनीति)
राजनीति का गिरगिट पल पल रंग बदल रहा कौआ भी देखो यहां हंस की चाल चल रहा तुम मुझे बुरा
Read Moreराजनीति का गिरगिट पल पल रंग बदल रहा कौआ भी देखो यहां हंस की चाल चल रहा तुम मुझे बुरा
Read More“तुम”, अपनी जिंदगी में खुश हो मेरा प्यार, सिसकीओ में जिन्दा है हर बार, बार बार अपने पे शर्मिंदा है
Read Moreबुझा बुझा जीवन है शायद अपना आशा निराशा है मन में कटु जटिलता पनपती है संघर्ष भरे दौर है दीप
Read Moreकितना प्यारा माँ का आँचल समेट लेती गम दामन में बच्चों की किलकारी गूँजती खुशियाँ भर देती आँगन में खुद
Read Moreमेरे जन्म के बाद माँ के गोद में नर्स मुझे फरमाया, पर मुझे लगा कौन सा मखमल के बिस्तर पर
Read Moreतेरे दर्द को अल्फ़ाज़ दूंगा मत सोच तू अकेला हैं हर कदम पर तेरा साथ दूंगा। दर्द का समुंदर जो
Read Moreमैं जिंदा हूं आज भी तुममें और कुछ-कुछ खुद में। सांसे रुक चुकी है धड़कनें बिक चुकी है। फिर भी
Read Moreहम क्या से क्या हो गये भ्रम में पड़े बीमार हो गये हिंदू-मुस्लिम करते-करते खूनी दंगों के शिकार हो गये
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