बालगीत : पैर
कितने अद्भुत अपने पैर! नहीं किसी से करते बैर।। सबको मंज़िल तक पहुँचाते। ये दुनिया भर को करवाते ।। मेला
Read Moreकितने अद्भुत अपने पैर! नहीं किसी से करते बैर।। सबको मंज़िल तक पहुँचाते। ये दुनिया भर को करवाते ।। मेला
Read More1 जैसी मन की सोच है,वैसे ही फल फूल। सोचा अगर बबूल है,चुभें देह में शूल।। चुभें देह में शूल
Read Moreगीत का सावन उमड़ता प्रीति का शुभ स्वप्न पलता चांद सी तुम हंस रही हो शून्य उर में धंस रही
Read Moreजब याद तुम्हारी आती है मन आकुल व्याकुल हो जाता है तुम चांद की शीतल छाया हो तुम प्रेम की
Read Moreधोती हैं, कुरता,गमछे हैं,हम दादाजी के चमचे हैं। जब छड़ी कहीं गुम जाती है,वे छड़ी -छड़ी चिल्लाते हैं।हम ढूंढ -ढाँढ
Read Moreपप्पू के घर में कई दिनों से सबह शाम दाल और सब्ज़ी ही बन रही थी।आज सबका कढ़ी खाने का
Read Moreहमारी पड़ोस में रहने वाले वर्मा जी स्टेट बैंक में मैनेजर थे। सेवा निवृत्त हुए लगभग दस साल हो चुके
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