आत्मकथा : मुर्गे की तीसरी टांग (कड़ी 36)
अभी मेरा कम्प्यूटर का काम पूरा नहीं हुआ था, अतः मुझे उसमें जुट जाना था। लेकिन इससे पहले मुझे दो-तीन
Read Moreअभी मेरा कम्प्यूटर का काम पूरा नहीं हुआ था, अतः मुझे उसमें जुट जाना था। लेकिन इससे पहले मुझे दो-तीन
Read Moreमै इन्कलाब की आँधी हूं मै विचलित होती नहीं हूं चाय वार्ता से चलते हुए भारत से ही अमेरिका को
Read Moreतुम जितना करती हो मेरे काव्य की सराहना उतनी ही ज्यादा पवित्र हो जाती है मेरे ह्रदय की सात्विक भावना
Read Moreलिया तूने जब जन्म, फोड़ी क्यों हाँडी काली जन्म संग मिली नफरत, न गई नाज से पाली लड़का लेता जन्म
Read Moreभारत माता की वंदना करने के लिए यह गीत मैंने कई वर्ष पहले लिखा था. इसे पहली बार प्रकाशित कर
Read Moreएक छोटा सा धुप का टुकड़ा अचानक ही फटा हुआ आकाश बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे और तुम्हारे जिस्म की सोंघी
Read Moreबादलों की तरह मन में उमड़ आते है मृदु भाव प्रेम करना मनुष्य का है स्वभाव उठने लगते हैं भीतर
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