कविता

एक कदम …..खुद के लिए

दिलो दिमाग के खोल किवाड़

सुनो तो ईश्वर की आह

कभी सूखा कभी बाड़

कभी भूकंप कभी महामारी

कभी सोनामी कभी शिव नगरी त्रासदी

क्या कहती हैं ये हमसे आते जाती

हर तबाही ……….

तड़प उठी है रूह ईश्वर की

देख हाल दुनिया का

जहाँ पाप , छल , लालच , कपट , द्वेष

का हुआ राज

हारी मानवता , संवेदना ,प्रेम ,विश्वास ,

एहसास और ज़ज्बात

इसलिए बार – बार  कुदरत का हर कहर

करता है आगाह आत्ममंथन को

जगाने को अलख प्रीत प्यार से

मानवता के संचार की

जब साफ़ होगा मन पवित्र होंगे संस्कार

महके की आस्था की अलख

तभी हो पायेगा एक नव जीवन का सृजन

और उपचार इन आपदाओं और त्रासदियों से

तो आओ बढाएं एक कदम

मांझ ले ज़मीर , टटोल लें मन

खुद के लिए

मानवता के लिए

संसार के लिए

फिर शायद ईश्वर रूपी प्रकृति

भी दे दे अपना प्यार दुलार

और पवित्र आस्था के शंख से

महक उठे रूह ईश्वर की

तो एक कदम बढाएं

अपने  से मानव सृजन के लिए

मानव सृजन के लिए…………

मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |

3 thoughts on “एक कदम …..खुद के लिए

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता. आपके मनोभाव प्रशंसनीय हैं.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    कविता बहुत अच्छी लगी .कुदरत का जो कहर झेल रहे हैं , इस को समझ कर मानव को कपट छल छोड़ पियार से रहना चाहिए .

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