गीत/नवगीत

गीत

(नितीश लालू की जीत पर पाकिस्तान में मनाये गए जश्न का मतलब बताती मेरी ताज़ा रचना)

विजय के शोर में डूबे बिहारी बाबुओ सुन लो
अदालत से सजा पाये, पुराने डाकुओं सुन लो

कबूतर खुद शिकारी को ख़ुशी से जान दे बैठे
गनीमत है बिहारी लोग जीवनदान दे बैठे

तुम्हारे सब कुकर्मो पर चलो पर्दा गिराया है
कुपोषित भैंस पर चढ़कर सुशासन लौट आया है

पराजित हो गया विक्रम, चलो बेताल भी खुश है
मगन हैं खान आज़म, सोनिया का लाल भी खुश है

पुरस्कारी बवालों के सभी किरदार भी खुश हैं
कई चैनल, कई दफ्तर, कई अखबार भी खुश हैं

हमें भी है ख़ुशी, यह लोकशाही की निशानी है
नयी दारू भले ही है, भले बोतल पुरानी है

मगर उस पार दुश्मन क्यों घरों में जश्न करता है?
भुजाएं खोलकर चौहान तुमसे प्रश्न करता है

बिहारी जीत पर आतंक का सामान क्यों खुश है?
हमें कोई बताये आज पाकिस्तान क्यों खुश है?

बड़ा ही साफ़ मतलब है, बड़ी फितरत पुरानी है
वतन की हर मुसीबत पर उसे खुशियाँ मनानी हैं

हमारी हार पर दुश्मन सदा ही मुस्कराया है
जली जब मुम्बई, लाहौर ने उत्सव मनाया है

ख़ुशी उस पाक की सुन लीजिये, बस ये इशारा है
फकत मोदी नहीं सम्पूर्ण हिन्दुस्तान हारा है

अगर तुम सोचते हो वो तुम्हारी जीत पर खुश है?
तुम्हें फिर से मिली कुर्सी, मधुर संगीत पर खुश है?

सरासर बेवकूफी सोचना ये, बात को समझो
बिहारी बाबुओ उस पाक की औकात को समझो

कई दिन बाद उसकी रूह में इक डर समाया था
कहाँ से आ गया दिल्ली में मोदी, हडबडाया था

जिहादी सोच पर छाने लगे, हिंदुत्व के बादल
जरा से वक्त में यह देख कर हाफिज हुआ पागल

समूचे हिन्द के सम्मान से वो तिलमलाया था
कि जब जय हिन्द ओबामा सरीखा गुनगुनाया था

मगर लालू नितिश में आज उसको यार दिखते हैं
उसे मोदी पराजय के बड़े आसार दिखते हैं

बताओ किसलिए इस पाक को भाया इलेक्शन है?
कराची का बताओ क्यों हुआ पटना कनेक्सन है

बिहारी बाबुओ उस पाक की हिम्मत बढ़ाओ जी
कि जाए भाड़ में भारत, मगर मोदी भगाओ जी

दिया है आपने उस पाक को तोहफा बधाई हो
मुझे लगता है सबने नाक मिलकर के कटाई हो

— कवि गौरव चौहान

One thought on “गीत

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार !

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