कविता

कलम

कलम चाहती थी चलना
बस विषय कोई भी हो ,
सोच मेरी कर रही थी
प्रश्न बार बार ,
कौन सा विषय चुनूँ
था मन में हाहाकार ,
भ्रूण हत्या के लिए
या बालश्रम पर लिखूँ ,
अथवा इन ढोंगी बाबाओं का
मैं सच लिखूँ ,
भटकते युवा की चाल
बुजुर्ग दुर्दशा का हाल ,
नित नये होते घोटालों
की कूटनीति का कमाल ,
विषय सभी थे ज्वलंत
किसको चुनूँ या छोड़ दूँ ,
या लुट रही नारी की अस्मत
पर सवाल खड़े करूँ ,
झुलसी जो तेज़ाब से
उसका दर्द बयां करूँ ,
या मार काट अत्याचार
के विरोध में लिखूँ ,
समस्या किसानों की भी
बड़ी दुखदायी थी ,
क्या लिखूँ कैसे लिखूँ
असह्य पीड़ा समाई थी ,
थक गया मन सोचकर
हर विषय विचारकर ,
कर ना पाया फैसला मैं
कलम भी थक हारकर ,
शांत होकर बैठ गई
मन मेरा अशांत कर ||

— पूनम पाठक

पूनम पाठक

मैं पूनम पाठक एक हाउस वाइफ अपने पति व् दो बेटियों के साथ इंदौर में रहती हूँ | मेरा जन्मस्थान लखनऊ है , परन्तु शिक्षा दीक्षा यही इंदौर में हुई है | देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से मैंने " मास्टर ऑफ़ कॉमर्स " ( स्नातकोत्तर ) की डिग्री प्राप्त की है | इंदौर में ही एकाउंट्स ऑफिसर के जॉब में थी | परन्तु शादी के बाद बच्चों को उचित परवरिश व् सही मार्गदर्शन देने के लिए जॉब छोड़ दी थी| अब जबकि बच्चे कुछ बड़े हो गए हैं तो अपने पुराने शौक लेखन से फिर दोस्ती कर ली है | मैं कविता , कहानी , हास्य व्यंग्य आदि विधाओं में लिखती हूँ |

5 thoughts on “कलम

  • आदरणीया पूनम जी बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति वास्तविकता की झलक दिख रही है अजीबोग़रीब है दुनिया इसको जानने का मतलब उदासी!!!

  • आदरणीया पूनम जी बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति वास्तविकता की झलक दिख रही है अजीबोग़रीब है दुनिया इसको जानने का मतलब उदासी!!!

    • पूनम पाठक

      जी आभारी हूँ रमेश कुमार जी ….

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    पूनम जी , आप बहुत अच्छा लिखती हैं , वाकई यह मुद्दे ऐसे हैं कि दिल उदास हो जाता है लेकिन हम कुछ कर नहीं पाते . बाबे जियोत्शी सरे आम लूट रहे हैं लेकिन लूट हो जाने भी ऐसे हैं जैशे में रहते हैं ,उन को कोई समझ ही नहीं ,क्या करें ,सही तो लिखा आप ने ,किस विषय पर कलम चलायें .

    • पूनम पाठक

      बहुत बहुत आभार आपका गुरमेल सिंह जी..

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