कविता

प्रेम और प्रकृति

चल सजनी! कुछ पेड़ लगायें
अपनी प्रेम निशानी
बैठ छांव मे पथिक पढ़े
अपनी प्रेम कहानी!!

कहीं लगायें वृक्ष आम के
कोयल राग सुनायेगी
कहीं लगायें वृक्ष पलाश के
बासंती देख मुस्कायेगी

हो आंगन में तुलसी,  पीपल
मिले पवन सुहानी
चल सजनी!  कुछ पेड़ लगायें
अपनी प्रेम निशानी!! 1

शुद्ध, स्वच्छ हो पर्यावरण
संरक्षण दे इस माती को
आज देंगे हम एक संदेशा
इस सारी मानव जाति को

परहित में हमको जीना
हमने यब है ठानी
चल सजनी! कुछ पेड़ लगायें
अपनी प्रेम निशानी!! 2

हँस रहा है खुलकर सावन
चल झूले वट बेलाओं से
धरा बसंत का स्वागत करती
लेकर नई-नई आशाओं से

आ सजनी! अब मन भर जीयें
आई रूत मस्तानी
चल सजनी! कुछ पेड़ लगायें
अपनी प्रेम निशानी !!3
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_/\_ अतुल बालाघाटी

 

अतुल बालाघाटी

नाम- अतुल बालाघाटी शिक्षा- हायर सेकण्डरी ( शाला- परसवाड़ा, बालाघाट) तथा आई० टी० आई०( बालाघाट) बी. ए. हिन्दी उम्र- २३ वर्ष मो० 9755740157, 9009697759 e mail- tembhareatul92@gmail.com पता- ग्राम चीनी ,तह- परसवाड़ा ,जिला- बालाघाट (म प्र)

2 thoughts on “प्रेम और प्रकृति

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी प्रेम कविता।

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी प्रेम कविता।

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