क्षणिका

क्षणिका

रिश्ते ,प्यार
दुनिया ,समाज
किस किस को निभाएं
ज़रा सी चूक
और सब ख़त्म
जिंदगी भर की सजा
लेकिन वो भी कम
इक औरत खत्म ………

…..रमा शर्मा

रमा शर्मा

लेखिका, अध्यापिका, कुकिंग टीचर, तीन कविता संग्रह और एक सांझा लघू कथा संग्रह आ चुके है तीन कविता संग्रहो की संपादिका तीन पत्रिकाओ की प्रवासी संपादिका कविता, लेख , कहानी छपते रहते हैं सह संपादक 'जय विजय'

One thought on “क्षणिका

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी क्षणिका !

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