बाल कविता

अब सावन को आने दो

बालक-से सूरज अलबेले,

सुबह तो लगते बिल्कुल भोले ।

जेठ-दुपहरी की वेला में,

बरसाते हैं आग के गोले ॥

 
सुबह फैलाएं मधुरिम लाली.

अब केवल शोले-ही-शोले ।

यौवन की अल्हड़ मस्ती में,

खो गए बाल-रवि जो भोले ॥

 
अपने आगे नहीं किसी को.

पल भर भी रुकने देते हैं ।

अपने ताप से उसकी सारी,

शीतलता को हर लेते हैं ॥

 
इतनी मस्ती, इतनी गर्मी ,

सूरज काका ठीक नहीं ।

होता घमंडी का सिर नीचा,

इतना गर्व तो ठीक नहीं ॥

 
शांत करो थोड़ा किरणों को,

गर्मी कम हो जाने दो ।

झेल चुके तेरे सब नखरे,

अब सावन को आने दो ॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

11 thoughts on “अब सावन को आने दो

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लाजवाब

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकिशोर भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • रीना मौर्य "मुस्कान"

    bahut-bahut sundar kavita,

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी रीना जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • बहुत ही खूब मैम

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी कामनी जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • Man Mohan Kumar Arya

    नमस्ते आदरणीय बहिन जी। बहुत सूंदर। उत्तम विचार एवं चिंतन। सूर्य में जो गर्मी, ऊर्जा एवं तेज है वह ईश्वर प्रदत्त है। हमारी आँखों में जो ज्योति है वह भी सूर्य की दें है। सूर्य न होता तो संसार अंधकार से पूर्ण होता। हार्दिक धन्यवाद। सादर।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बाल कविता बहुत अछि लगी ,बच्चे इसे बहुत पसंद करेंगे .

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बाल कविता बहुत अछि लगी ,बच्चे इसे बहुत पसंद करेंगे .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

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