कहानी

आत्मा का प्रतिशोध

कोई आत्मा ऐसा कर सकती है या कोई ऐसा इन्सान जिसने जीते जी बहुत अन्याय सहा हो मरने क बाद अपना प्रतिशोध ले सकता है,हम सोचते हैं शायद हाँ ,शायद नही भी!
पर जब हम खुद ऐसी घटना को अपने आस पास होते देखते हैं या किसी के साथ होते देखते हैं तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं ऐसा हो सकता है।
टीना बहुत ही सुन्दर और पढ़ी लिखी लड़की थी और जल्दी ही उसके घरवालों ने उसकी शादी एक बहुत ही अमीर खानदान में तय कर दी थी। टीना और उसके घरवाले बहुत ही खुश थे पर आने वाले तूफान से अंजान थे। टीना के ससुराल में नौकरों की कोई कमी नहीं थी फिर भी टीना घर के काम में सारा दिन व्यस्त रहती थी सबकी पसंद का ख्याल रखना सबको खुश रखने की कौशिश करना। टीना के जेठ जेठानी अलग रहते थे। वो सास और ससुर जी के साथ रहती थी। एक ननद भी थी जिसकी शादी हो चुकी थी। टीना की सास और पति बहुत गुस्से वाले थे ससुर जी तो सास की ही बात सुनते थे। टीना के पति की ज़िन्दगी में टीना की कोई कीमत नहीं थी सिवाय एक इंसान के जिसे बस सबकी देखभाल के लिए घर में लाया गया था।बड़ी बहु को भी सास और टीना के पति ने बहुत परेशान किया था इस हद तक कि वो आत्महत्या करने पर भी तैयार हो गई थी पर उसके पति ने अपना घर बचाने के लिए घरवालो की मर्ज़ी के खिलाफ अलग रहने का फैसला लिया था। पर टीना के पति तो उसे समझते नहीं थे। हर वक्त मायके वालों ताने देना और सारा दिन काम न खत्म होने देना और उस पर कभी कभी सास का गुस्से में टीना को मारना और सास का कहना राज टीना को काबू में रखना कहीं बदल न जाए। टीना को समझ नहीं आती थी कि सास ऐसा क्यों करती है इतना दबाकर रखना कि टीना डर के मारे दिल की बात भी नहीं करती थी। हमेशा खुश रहने वाली टीना अब उदास रहती थी उसे ज़िन्दगी से नफरत होने लगी थी और राज तो उसेकुछ समझते नहीं थे। अपनी छोटी बहन की शादी में कोई अड़चन न आए इसलिए घरवालों से कुछ नहीं कहती थी। जेठ तो अपना घर बचाने के लिए घर छोड़कर चला गया। पर सास को जाने क्या चाहिए था सब कुछ होते हुए भी बहुओं की कोई कद्र नहीं थी उन्हें दबाकर रखना चाहती थी टीना के तो पति का भी सहारा नहीं था। एक दिन जाने बहुत मजबूरी में उसे मायके जाना पड़ा उसकी एक छोटी बेटी थी और वो गर्भवती भी थी। टीना ससुराल आने ही वाली थी कि बहुत गुस्से में उसके पति का फोन आ गया वो बहुत डर गई उसने मायके में कुछ नहीं कहा बस खुद को कमरे में बंद करके आत्महत्या करनी चाही और खुद को जलाने की खतम करने की कौशिश कर दी। जल्दी ही घरवालो ने देख लिया और आग बुझाने की कौशिश की पर वो बहुत जल चुकी थी। जब उसके पति आए तो उनके चेहरे पर कोई परेशानी या पछतावा नहीं था घरवाले भी परेशानी में कुछ पूछ नहीं सके क्योंकि टीना आती भी कम थी और अगर आती भी थी तो चुप ही रहती थी कुछ बताती नहीं थी बस यही कहती थी कि अमीर घर में गरीब लड़की की शादी नहीं करनी चाहिए। जल्दी ही टीना को उसके घरवाले हास्पिटल ले गए उन्होने जल्दी बाहर बड़े हास्पिटल ले जाने की बात की जो टीना के घरवाले नहीं कर सकते थे फिर उसके पति लेकर गए जब पुलिस ब्यान लेने पहुंची तो टीना के पति ने यही कहा कि अगर बेटी का इलाज कराना चाहते हो तो टीना को भी कह दो कि कुछ न बोले टीना तो पहले ही इतना डरती थी उसने यही कहा कि कोई परेशानी नहीं है वैसे भी मायके में यह सब हुआ था तो टीना के पति बच गए थे। टीना की हालत बहुत खराब थी और वो बच न सकी अपने साथ अपने सपने जो कभी उसने लिए थे वो एक बेटी को पीछे छोड़कर जा चुकी थी। टीना के ससुराल में कोई खास अफसोस नहीं था और टीना के पति तो दो दिन के बाद ही पार्टी बगैरह करने लगे और खुश थे । महीने के बाद ही दूसरी शादी भी कर ली और टीना की बेटी को पढ़ने बाहर भेज दिया गया जिससे वो कोई सवाल न पूछे। पर देखते देखते सास की हालत खराब हो गई वो किसी अंजान बीमारी से बिस्तर पर ही बैठ गई। बहुत इलाज कराया पर ठीक नहीं हुई और एक दिन ज़ोर ज़ोर से कहने लगी टीना तुम्हारे पैर कहां हैं मुझे माफ कर दो और कुछ ही देर में चल बसी घरवाले हैरान थे यह सब देखकर। वहीं टीना के पति राज की दूसरी पत्नी भी रात को डर कर उठ जाती थी और राज को सुनाने लगी कि आपकी पहली पत्नी मेरे सपने में आती है आपको मुझसे छीन कर ले जाती है। राज भी कुछ कुछ समझ चुका था और दूसरी पत्नी को कभी संतान नहीं हुई । डाक्टर भी हैरान थे क्योंकि रिपोर्ट सभी ठीक थी। जाने यह सब इतफाक था या एक आत्मा का प्रतिशोध !
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |