दक्षिण भारत में आर्यसमाज का प्रचार और उसका संक्षिप्त परिचय
ओ३म् महर्षि दयानन्द (1825-1883) गुजरात में जन्में, मथुरा में पंजाब में जन्में गुरु विरजानन्द सरस्वती से संस्कृत व्याकरण व
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Read Moreप्रदत शीर्षक- अलंकार, आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर गहना भूषण विभूषण, रस रूप अलंकार बोली भाषा हो मृदुल, गहना हो
Read Moreसत्यभामा `महिला क्लब’ चलाती थी और समाज की कमजोर स्त्रियों को आगे बढ़ाने का ढोंग करती थी । भ्रूण हत्या
Read Moreपुर्वकथा सार : हम कुछ मित्र मुंबई से माता वैष्णोदेवी के दर्शन कर भैरव घाटी की ओर बढे । अब
Read Moreमैय्या तेरे भवन निराले जयकारे-ही-जयकारे यहां आते हैं दिलवाले जयकारे-ही-जयकारे 1.कौल कंदौली जय-जयकारे माई देवा जय-जयकारे बाणगंगा के धारे जयकारे-ही-जयकारे
Read More( ढेल- मोरनी, टहूंको- मोर की बोली) नाचत घोर मयूर वन, चाह नचाए ढेल चाहक चातक है विवश, चंचल चित
Read Moreयह चार पदों(पंक्तियों मे) लिखा जाने वाला वार्णिक छंद है। 8/8/8/7 पर यति अर्थात प्रति पंक्ति 31 वर्ण, भाव प्रभाव
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