लघुकथा

तालमेल

महेश के विवाह के बाद उसकी माँ पहली बार उसके घर रहने आई थीं. महेश यह सोंच कर परेशान था कि माँ और पत्नी के बीच तालमेल कैसे बिठाएगा. उसकी पत्नी स्वतंत्र व्यक्तित्व की थी. उसे अपने फैसले स्वयं लेने की आदत थी. जबकी माँ की सोंच थी कि बहू को हर काम सास से पूँछ कर करना चाहिए.
नाश्ते के बाद ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई. उसकी पत्नी नौकरानी को सब्जियां लाने के लिए बाजार भेज रही थी. तभी उसकी माँ ने उसे रोकते हुए कहा “ठहरो ऐसे कैसे भेज रही हो बाजार. पहले पूँछ तो लो कौन कौन सी सब्जियां लानी हैं.”
उनके इस प्रकार टोकने से उसकी पत्नी को बुरा लगा. बात आगे बढ़ने से पहले ही महेश अपनी माँ से बोला “मम्मी जिंदगी भर तो आपने यह सब संभाला है. अब आप आराम कीजिए. यह सब हम लोग देख लेंगे.”
बेटे के ऐसे बोल सुन माँ आराम से बैठ गईं. महेश ने राहत की सांस ली.

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है