पब्लिक अॉन डय़ूटी…
बैंक में एक कुर्सी के सामने लंबी कतार लगी है। हालांकि बाबू अपनी सीट पर नहीं है। हर कोई घबराया
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Read Moreअस्पताल के कॉरिडोर में स्ट्रेचर पर विवेक कराह रहा था | डॉक्टर से उसके जल्द इलाज की मिन्नतें करता हुआ
Read Moreवो किसी पाषाण युग के वास्ते अवसर लिए हैं । देखिये कुछ लोग अपने हाथ मे पत्थर लिए हैं ।।
Read Moreतपन को आजमाना चाहता है । समंदर सूख जाना चाहता है ।। तमन्ना वस्ल की लेकर फिजा में। कोई मुमकिन
Read Moreमर गया है किस कदर आँखों का पानी देखिये पुज रही है आदमी की बदग़ुमानी देखिये खौफ़ में हैं ख़ानदानी
Read Moreयूँ ज़रूरत तो हमारी भी किसी से कम नही साथ लेकिन हम हवाओं के बहें तो हम नही नफ़रतों की
Read More”भाई शादी करनी है तो किसी ने किसी लड़की के लिए हां करनी पड़ेगी,” मोहन ने समझाया तो केवल बोला,
Read Moreभारतवर्श की अग्रणी और हिन्दी साहित्य,स्वच्छ साहित्य के लिये हमेशा अग्रसर और तत्पर रहने वाली राष्ट्रीय संस्था “भारतीय साहित्य उत्थान
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