“मुक्तक”
“मुक्तक” रे मयूर केहि भांति मयूरी, रंग बिना कस लाग खजूरी। अपलक चितवत तोहिं अधूरी, नर्तकप्रिय पति करे मजूरी। रात
Read Moreहिन्दुओं में सती प्रथा के उन्मूलन के बाद सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए किसी भी सरकार द्वारा पहली
Read Moreप्राधौगिकी के विकास और उन्नयन के साथ देश के भीतर विज्ञापनों की बाढ़ सी आ गई है। इन विज्ञापनों के
Read Moreओ३म् हमारा जीवन प्रारब्ध की नींव पर बना है और जीवन को सार्थक करने के लिए हमें पुरुषार्थ करना है।
Read Moreसंगम की रेती रेत के ऊपर गंगा दौड़ती, यहाँ थकती गंगा अभी-अभी बीता महाकुम्भ सब कुछ पहले जैसा सुनसान बेसुध।
Read Moreनिकल पड़ा इक शांम खरीदने को कुछ वक्त के बाजार में थी जहां चहुं ओर रोशनी ही रोशनी भीड़ भरी
Read Moreबुरा न बोलो बोल रे.. ..आनन्द विश्वास बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे, वाणी में
Read More*बेटा-बेटी सभी पढ़ेंगे* …आनन्द विश्वास नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुई पुरानी। बेटी-युग के नए दौर की, आओ
Read Moreजिन दहशतगर्दों की खातिर,यहाँ जेल में कबरें खुदती है उनके आकाओं को देखो,कंगन और चूड़ी चुभती है हिंदुस्तानी सास बहु
Read Moreप्रिय पाठकगण, जैसा कि आप जानते हैं, अभी हाल ही में सदाबहार काव्यालय (कविता संग्रह) शुरु किया गया है. आपको
Read More