कविता

गरीब दुनिया

दुनिया में कुछ लोग तो इतने “गरीब” होते हैं,
उनके पास पैसे के सिवा और कुछ नहीं होता .
बस पैसा पैसा और पैसा , सोते जागते बस पैसा
न दया भाव न करुणा,न परोपकार का ध्यान काम ,
बस उनके लिए तो जैसे ,पैसा ही उनका भगवान् , ,
दिल ख़ाली होता जाता है, तिजोरी भरती जाती है ,
कहाँ से कैसे मिलना है पैसा नीयत डोलती जाती है ,
और एक दिन यह पैसा , दिमाग पर चढ़ जाता है,
वह इंसान अपने ही गरूर में रास्ता भटक जाता है,
फिर न किसी यार दोस्त न नातेदार से रहता है प्यार ,
बस एक ही रिश्ता रहता है, जिसमे नाम है “व्यापार ”
हे प्रभु बस यहीं यह पैसे वाला यह सब भूल गया कि-
यह पैसा ही उसके जाने के बाद फसाद बन जायेगा,
दिल से किया केवल कर्म और नाम यहाँ काम आएगा ,
–जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845