लेख– समाजिक सोच में परिवर्तन बेहद ज़रूरी
भौतिक सुख-सुविधाओं के बढोत्तरी के दौर में आदमी का ईमान और सामाजिकता मर सी गई है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं
Read Moreभौतिक सुख-सुविधाओं के बढोत्तरी के दौर में आदमी का ईमान और सामाजिकता मर सी गई है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं
Read More“अजी सुनते हैं।” कहती हुईं हमारी श्रीमती जी मोबाइल हाथ में पकड़े मेरे सामने आकर खड़ी हो गईं। “अजी सुनाइए
Read Moreअभी कुछ साल पहले मेरी नन्द की बेटी की शादी फिरोजपुर जाकर करनी पड़ी |नन्द-नन्दोई इंतजाम के लिये पहले चले
Read Moreबनो निरंकुश मोदीजी दुष्ट स्वजन पर वार करो, मानवता नहीं होगी कलंकित असुरों का संहार करो। खीझ रहे जो खीझने
Read Moreहर दिल में अजब सी एक प्यास है हर दिल में कोई न कोई राज है सब चल रहे कांटो
Read Moreआसमान में उड़ने वालो आसमान में ठिकाना नहीं होता आसमान में आशियाना नहीं होता आसमान होता ही कहाँ है ??
Read Moreइस जहाँ में ख़लिश मैं ही हूँ दीवाना या रात की ख़ामोशी सुनता है कोई और भी आसमान के नीदों
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