कविता

आधुनिकता निगल गई

इशारों की रंगत खो क्यूँ गई
चूड़ियों की खनक और खांसी के इशारे को
शायद मोबाईल खा गया
घूँघट की ओट से निहारना
ठंडी हवाओं से उड़ न जाए कपडा दाँतों में दबाना
काजल का आँखियों में लगाना
क्यूँ छूटता जा रहा व्यर्थ की भागदौड़ में
श्रृंगार में गजरें, वेणी रास्ता भूले बालों का
प्रिय का सीधा नाम बोलने की बातें
कुछ खाने पीने के लिए बच्चों के हाथ भेजना
साड़ी -उपहार छुपाकर देने की आदते
ऑन लाइन शॉपिंग निगल गई
हमारे पुराने ख्यालात में
प्रेम मनुहार छुपा था
नए ख्यालातों को दिखावा निगल गया
बैठ कर खाने, पार्को में पिकनिक मनाने के समय को
शायद इलेक्ट्रानिक बाजार निगल गया
इंसान तो है मगर समय बदल गया
या तो समय के साथ हम बदल गए
सुख चैन अब कौन सी दुकान पर मिलता
हमे जरा बताओं तो सही
दिखावा और बेवजह की मृगतृष्णा सी दौड़ में
हमारी आँखों से आंसू भाप बनकर
चेहरे पर मुस्कान से बनने वाले
गालों में पड़ने वाले गड्ढों को
भागदौड़ भरी शैली निगल गई
क्या जिंदगी इतनी आधुनिक हो गई

संजय वर्मा ‘दृष्टी ‘
मनावर (धार )
9893070756

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच